मैं केंद्र सरकार के लोकडाउन किये जाने पर आभार व्यक्त करता हूँ आप सब भी सरकार के निर्देश का पालन करें व जरूरत पड़ने पर मेडीकल सर्विस में अपने आप को समर्पित करने को तैयार रहें व स्वस्थ रहें व सबको स्वस्थ रखें।
योगी सरकार व राजस्थान सरकार ने जो कदम उठाएं व काबिले तारीफ हैं अन्य राज्य सरकारों को भी यह निर्देश जारी करने चाहिए व केंद्र सरकार को उचित कदम उठाने चाहिए
नीचे दिए लिंक से आप दोनों सरकारों के निर्देश पढ़ सकते हैं।
👇
यूपी सरकार का एलान
राजस्थान सरकार का निर्णय
अब कुछ सवालों को देखते हैं यह सवाल इसलिए हैं ताकि आप समझ पाए कि सरकार कितना गम्भीर व पहले से तैयार थी या नहीं।
जिस वक्त भारत जैसा 100 करोड़ से अधिक आबादी वाला देश मात्र कुछ हजार टेस्ट ही करता है वही मात्र 5 करोड़ की आबादी वाला दक्षिण कोरिया 3 लाख से अधिक टेस्ट कर लेता है.
कैसे?. HOW?
प्राइवेट लैब्स को टेस्टिंग के लिए इजाजत देने में क्यों देर हो रही है कुछ लोगो को यह समझ में नही आ रहा है...?
यह सब लिखना नही चाहिए पर माफ कीजिएगा कोरोना पर सरकार की तैयारी एकदम घटिया स्तर की है...!
कोरोना वायरस विदेश से ही भारत आएगा व विदेशों से आने वाले लोग इससे संक्रमित हो सकते है। जब यह बात ध्यान देने योग्य थी व करीबी चीन में इस वायरस से स्थिति खतरनाक थी, तब सरकार गम्भीर क्यों नहीं हुई..?
अब कुछ लोग सरकार से सवाल करने की बजाय घटिया मीम व थर्ड क्लास जोक्स शेयर कर रहे हैं। अगर वायरस इतना खतरनाक था व सरकार इससे होने वाली समस्या से अवगत थी और इसके रोकथाम के लिए सच मे कदम उठा रही थी तो एयरपोर्ट से बिना प्रॉपर चेकअप के बाहर से आने वाले लोगों को आने क्यों दिया गया..? आप माने न माने यह सरकार की भारी चूक थी, यही बात संक्रमित हो चुकी कनिका कपूर पर भी लागू है वो भी विदेश से आई थी, कुछ मूर्ख लगातार कनिका कपूर का मजाक उड़ा रहे हैं। उन्हें ट्रोल कर रहे हैं। मुझे लगता है गलती यहाँ कनिका की नहीं बल्कि एयरपोर्ट पर व्यवस्था करने वालो की है तथा सरकार की है अगर एयरपोर्ट पर चेकअप हुआ व संदिग्ध थी तो उन्हें आइसोलेट क्यों नहीं किया.? अगर चेकअप नहीं हुआ तो क्यों नहीं हुआ क्या सरकार इसकी व्यवस्था नहीं कर पाई.? क्या सरकार इस संक्रमण के रोकथाम में इतनी नाकाम है कि एयरपोर्ट पर चेकअप नहीं कर पा रही और संदिग्ध को आइसोलेट नही कर पा रही..?
सवाल बहुत हैं अफवाहों की आँधी है।
अब जरा कोरोना टेस्टिंग की सच्चाई को समझने का प्रयास कीजिए..
मेने आजतक का एक लेख टेस्टिंग व तैयारी से सम्बंधित अभी पढा आप भी पढ़ लीजिये नीचे लिंक पर टच करके उसके बाद यह प्रश्न तो बनते हैं।
https://m.aajtak.in/news/coronavirus/story/coronavirus-pandemic-when-will-private-labs-start-testing-1173187-2020-03-20
दरअसल लैब टेस्टिंग में जो आवश्यक केमिकल इस्तेमाल किए जाते हैं चिकित्सा की भाषा में उन्हे 'प्रोब्स' कहा जाता है।
इन कैमिकल्स के सेट का इस्तेमाल COVID-19 टेस्टिंग के लिए होता है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी लव अग्रवाल कि यह आजतक की रिपोर्ट बता रही है करीब 1 लाख प्रोब्स ही स्टॉक में हैं और प्रोब्स को जर्मनी से मंगाने के ऑर्डर दिए जा चुके हैं. साफ है कि जब केमिकल आएगा तभी तो टेस्टिंग हो पाएगी भारत में प्राइवेट लैब्स के टेस्टिंग को तैयार रखने के लिए कह दिया गया है।
यह हाल है इस सरकार का?
30 जनवरी को केरल में भारत का पहला कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति मिला था, तब से अब 50 दिन गुजर चुके है चीन से आती हुई खबरों से इस संकट की भयावहता का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता था लेकिन सरकार इसके अलावा हर वो काम करने में बिजी थी जो जिससे वोटबैंक को खुश किया जा सके।
इस संकट की गंभीरता का अनुमान लगाने में मोदी सरकार नाकाम रही हैं लेकिन मूर्ख जनता को उसने घण्टे घड़ियाल शंख थाली बजाने की एडवायजरी जारी कर दी है जनता उसी में गर्व का अनुभव कर रही है।
कल से कोरोना वायरस का टेस्ट व किट को लेकर जो खबरें सामने आई है उससे पता चलता है कि ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया की तरफ से देश व विदेश की 18 कंपनियों को कोरोना वायरस की जांच की इजाजत दे दी गयी है...... क्यो भाई! अब तक सो रहे थे क्या?.........
क्या ऐसी कोई प्रारम्भिक जांच नही की जा सकती थी जिससे यह पता लग जाए कि यह साधारण फ्लू है या अज्ञात वायरस जनित फ्लू? एक पत्रकार अपनी रिपोर्ट में कह रहे हैं कि सिर्फ 300 रुपए की लागत की एक ब्लड जांच ऐसी भी है जिससे वायरस के स्पष्ट संकेत मिल जाते हैं। सीनियर पैथोलॉजिस्ट बताते हैं कि हाई फ्लोरोसेंट सेल (एचएफसी), एब्सलूट लिंफोसाइट काउंट और सीआरपी तथा एल्बुमिन जांच ऐसी है ,जिसके जरिए इस बात के स्पष्ट संकेत मिल जाते हैं कि मरीज वायरस से संक्रमित है। इस पूरी जांच में लगभग 2 घंटे का समय लगता है यदि ऐसी जाँच करने की अनुमति दे दी जाए तो लाखों लोगो के बीच से संभवतः कोरोना के मरीजों को छांटा जा सकता है और उनकी विस्तृत जांच के लिए उनका सैम्पल देश की बड़ी ओर सक्षम लैब को भेजा जा सकता है। अगर ऐसा होगा तो हम लोकडाउन का सही फायदा उठा पाएँगे।
ऐसा क्यो नही किया जा रहा है यह समझ के बाहर है?, वैसे भी जब घण्टे घड़ियाल बजाने से देश की जनता खुश है तो ऐसे चुभते हुए सवाल सरकार से क्यो किये जाए? जब यह सब लिख रहा हूँ तो एक फोन कॉल आया है जिसमे रिकॉर्डेड मेसेज है कि जनता कर्फ्यू को सफल बनाना है, शाम 5 बजे थाली बजानी है...
✍🏼किशन कुमार जोशी
#Kishan Joshi
#covid19
योगी सरकार व राजस्थान सरकार ने जो कदम उठाएं व काबिले तारीफ हैं अन्य राज्य सरकारों को भी यह निर्देश जारी करने चाहिए व केंद्र सरकार को उचित कदम उठाने चाहिए
नीचे दिए लिंक से आप दोनों सरकारों के निर्देश पढ़ सकते हैं।
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यूपी सरकार का एलान
राजस्थान सरकार का निर्णय
अब कुछ सवालों को देखते हैं यह सवाल इसलिए हैं ताकि आप समझ पाए कि सरकार कितना गम्भीर व पहले से तैयार थी या नहीं।
जिस वक्त भारत जैसा 100 करोड़ से अधिक आबादी वाला देश मात्र कुछ हजार टेस्ट ही करता है वही मात्र 5 करोड़ की आबादी वाला दक्षिण कोरिया 3 लाख से अधिक टेस्ट कर लेता है.
कैसे?. HOW?
प्राइवेट लैब्स को टेस्टिंग के लिए इजाजत देने में क्यों देर हो रही है कुछ लोगो को यह समझ में नही आ रहा है...?
यह सब लिखना नही चाहिए पर माफ कीजिएगा कोरोना पर सरकार की तैयारी एकदम घटिया स्तर की है...!
कोरोना वायरस विदेश से ही भारत आएगा व विदेशों से आने वाले लोग इससे संक्रमित हो सकते है। जब यह बात ध्यान देने योग्य थी व करीबी चीन में इस वायरस से स्थिति खतरनाक थी, तब सरकार गम्भीर क्यों नहीं हुई..?
अब कुछ लोग सरकार से सवाल करने की बजाय घटिया मीम व थर्ड क्लास जोक्स शेयर कर रहे हैं। अगर वायरस इतना खतरनाक था व सरकार इससे होने वाली समस्या से अवगत थी और इसके रोकथाम के लिए सच मे कदम उठा रही थी तो एयरपोर्ट से बिना प्रॉपर चेकअप के बाहर से आने वाले लोगों को आने क्यों दिया गया..? आप माने न माने यह सरकार की भारी चूक थी, यही बात संक्रमित हो चुकी कनिका कपूर पर भी लागू है वो भी विदेश से आई थी, कुछ मूर्ख लगातार कनिका कपूर का मजाक उड़ा रहे हैं। उन्हें ट्रोल कर रहे हैं। मुझे लगता है गलती यहाँ कनिका की नहीं बल्कि एयरपोर्ट पर व्यवस्था करने वालो की है तथा सरकार की है अगर एयरपोर्ट पर चेकअप हुआ व संदिग्ध थी तो उन्हें आइसोलेट क्यों नहीं किया.? अगर चेकअप नहीं हुआ तो क्यों नहीं हुआ क्या सरकार इसकी व्यवस्था नहीं कर पाई.? क्या सरकार इस संक्रमण के रोकथाम में इतनी नाकाम है कि एयरपोर्ट पर चेकअप नहीं कर पा रही और संदिग्ध को आइसोलेट नही कर पा रही..?
सवाल बहुत हैं अफवाहों की आँधी है।
अब जरा कोरोना टेस्टिंग की सच्चाई को समझने का प्रयास कीजिए..
मेने आजतक का एक लेख टेस्टिंग व तैयारी से सम्बंधित अभी पढा आप भी पढ़ लीजिये नीचे लिंक पर टच करके उसके बाद यह प्रश्न तो बनते हैं।
https://m.aajtak.in/news/coronavirus/story/coronavirus-pandemic-when-will-private-labs-start-testing-1173187-2020-03-20
दरअसल लैब टेस्टिंग में जो आवश्यक केमिकल इस्तेमाल किए जाते हैं चिकित्सा की भाषा में उन्हे 'प्रोब्स' कहा जाता है।
इन कैमिकल्स के सेट का इस्तेमाल COVID-19 टेस्टिंग के लिए होता है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी लव अग्रवाल कि यह आजतक की रिपोर्ट बता रही है करीब 1 लाख प्रोब्स ही स्टॉक में हैं और प्रोब्स को जर्मनी से मंगाने के ऑर्डर दिए जा चुके हैं. साफ है कि जब केमिकल आएगा तभी तो टेस्टिंग हो पाएगी भारत में प्राइवेट लैब्स के टेस्टिंग को तैयार रखने के लिए कह दिया गया है।
यह हाल है इस सरकार का?
30 जनवरी को केरल में भारत का पहला कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति मिला था, तब से अब 50 दिन गुजर चुके है चीन से आती हुई खबरों से इस संकट की भयावहता का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता था लेकिन सरकार इसके अलावा हर वो काम करने में बिजी थी जो जिससे वोटबैंक को खुश किया जा सके।
इस संकट की गंभीरता का अनुमान लगाने में मोदी सरकार नाकाम रही हैं लेकिन मूर्ख जनता को उसने घण्टे घड़ियाल शंख थाली बजाने की एडवायजरी जारी कर दी है जनता उसी में गर्व का अनुभव कर रही है।
कल से कोरोना वायरस का टेस्ट व किट को लेकर जो खबरें सामने आई है उससे पता चलता है कि ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया की तरफ से देश व विदेश की 18 कंपनियों को कोरोना वायरस की जांच की इजाजत दे दी गयी है...... क्यो भाई! अब तक सो रहे थे क्या?.........
क्या ऐसी कोई प्रारम्भिक जांच नही की जा सकती थी जिससे यह पता लग जाए कि यह साधारण फ्लू है या अज्ञात वायरस जनित फ्लू? एक पत्रकार अपनी रिपोर्ट में कह रहे हैं कि सिर्फ 300 रुपए की लागत की एक ब्लड जांच ऐसी भी है जिससे वायरस के स्पष्ट संकेत मिल जाते हैं। सीनियर पैथोलॉजिस्ट बताते हैं कि हाई फ्लोरोसेंट सेल (एचएफसी), एब्सलूट लिंफोसाइट काउंट और सीआरपी तथा एल्बुमिन जांच ऐसी है ,जिसके जरिए इस बात के स्पष्ट संकेत मिल जाते हैं कि मरीज वायरस से संक्रमित है। इस पूरी जांच में लगभग 2 घंटे का समय लगता है यदि ऐसी जाँच करने की अनुमति दे दी जाए तो लाखों लोगो के बीच से संभवतः कोरोना के मरीजों को छांटा जा सकता है और उनकी विस्तृत जांच के लिए उनका सैम्पल देश की बड़ी ओर सक्षम लैब को भेजा जा सकता है। अगर ऐसा होगा तो हम लोकडाउन का सही फायदा उठा पाएँगे।
ऐसा क्यो नही किया जा रहा है यह समझ के बाहर है?, वैसे भी जब घण्टे घड़ियाल बजाने से देश की जनता खुश है तो ऐसे चुभते हुए सवाल सरकार से क्यो किये जाए? जब यह सब लिख रहा हूँ तो एक फोन कॉल आया है जिसमे रिकॉर्डेड मेसेज है कि जनता कर्फ्यू को सफल बनाना है, शाम 5 बजे थाली बजानी है...
✍🏼किशन कुमार जोशी
#Kishan Joshi
#covid19


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