श्री करणी माता के चमत्कार #कोराना महामारी से विश्व को मुक्ति की अरदास:-
🖋डाॅ नरेन्द्र सिंह चारण झांकर
प्रधानाचार्य राउमावि बिकरनी
भगवती श्री करनी जी ने वि• स• 1444 आश्विन शुक्ल सप्तमी शुक्रवार के दिन जोधपुर के पास सुवाप गांव में जन्म लिया इनके पिता का नाम मेहाजी चारण व माता का नाम देवल आढ़ी था। भगवती श्री करनी माता ने जन्म से ज्योतिर्लीन होने तक अनेक चमत्कार अपने भक्तों दिखलाये जिसका वर्णन श्री करणी माता का इतिहास पुस्तक में मैंने किया है जो मेरा पीएचडी शोध कार्य हैं, और श्री करनीजी माता वि• स• 1595 चैत सुदी नवमी के दिन ज्योतिर्लीन हुए। श्री करणी माता के ज्योतिर्लीन होने के बाद भी मातेश्वरी ने अनेक चमत्कार अपने भक्तों,रिसायतकालीन राजा महाराजाओं आदि दिखलाये जिसकी एक विस्तृत श्रृंखला हैं जिसे मैंने अपनी पुस्तक" श्री करणी माता के चमत्कार" पुस्तक में लिखे है। मातेश्वरी ने परमधाम के बाद समय समय पर अपने भक्तों,राजा महाराजाओं की चमत्कारी मदद की जिसके कारण एक लोक देवी के रूप में उनका चरित्र विश्व में सबसे ज्यादा चर्चित व महशूर हुआ । आज के युग में श्री करणी माता अपने चमत्कारों के कारण जगत प्रसिद्ध हैं । कुछ महत्वपूर्ण चमत्कार जो उन्होंने ज्योतिर्लीन के बाद दिखलाये वे निम्नलिखित हैं ।
1. जब मुगल सेना का कामरान के नेतृत्व में 1595 आसोज सुद 6 की रात्रि को व बीकानेर के शासक राव जैतसी से मुकाबला हुआ तब श्री करणी माता ने चमत्कार दिखाया जिससे जैतसी की विजय हुई । जब राव जैतसी श्री करणी माता मंदिर देशनोक में उनकी अरदास कर रहा था तब उन्हें श्री करणी माता का चूड पहिने हुए एक हाथ दिखाई दिया और उस हाथ ने जैतसी के पास रखी हुई कमान पर तीर चढ़ाकर सामने किया। इस अलौकिक चमत्कार को देखकर जैतसी को आभास हुआ साक्षात् श्री करणी माता का आशीर्वाद व युद्ध की आज्ञा उसे मिल रही हैं ।
2. बीकानेर के शासक कर्ण सिंह का बादशाह औरंगजेब के खिलाफ बगावत कर सभी राजपूत शासकों को धर्म परिवर्तन करने से रोकना जिसके कारण सभी राजपूत शासकों ने मिलकर कर्णसिंह को जय जंगलधर बादशाह का खिताब दिया । औरंगजेब बीकानेर के शासक कर्ण सिंह को षड्यंत्रपूर्वक मरवाना चाह रहे थे लेकिन श्री करणी माता के आशीर्वाद के फलस्वरूप वधार्थ नियुक्त दोनों व्यक्ति कुछ भी नहीं कर सके।
3 बीकानेर के महाराजा जोरावर सिंह के समय जोधपुर के महाराजा अभय सिंह ने वि• स• 1797 को बीकानेर पर चढाई की तब अपनी रियासत को संकट में देखकर जोरावर सिंह ने श्री करणी माता से प्रार्थना की तो श्री करणी माता ने महल पर सफेद सवळी (चील) बनकर दर्शन दिये । तो जोरावर सिंह ने हाथ जोड़कर दोहा कहा कि
डाढ़ाली डोकर थई,तूँ गई विदेस ।
खून बिना क्यों कोसजे नीज बीका रा नेस।।
इस पर एक व्यक्ति ने ये कहा कि
निज नेसां जोखो नहीं जोखो है जोधांण ।
अभो अपूठो जावसी मेले मोटो मांण ।।
भगवती श्री करणी माता की कृपा से जोधपुर के राजा अभयसिंह युद्ध छोडकर भागना पड़ा ।
4. बीकानेर महाराजा गजसिंह पर जोधपुर महाराजा अभयसिंह द्वारा वि स 1804 के श्रावण मास में चढाई करना। इस युद्ध में श्री करणी माता ने प्रत्यक्ष गजसिंह की सहायता करते हुए स्वयं अपने हाथ से जोधपुर की गोली को गजसिंह के लगने से रोकी। इस युद्ध में भी जोधपुर सेना की बड़ी हानि हुई ।
5. बीकानेर के महाराजा सूरतसिंह को चमत्कार दिखाना।
6. बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह की दो बार जीवन रक्षा करना ।
7. श्री करनी जी ने अपने अन्य रियासतों के भक्त शासकों की भी सहायता की जिसमें अलवर के महाराजा बख्तार सिंह व जोधपुर के महाराजा विजय सिंह के प्रवाड़े मुख्य हैं ।
8. अलवर के महाराजा विनय सिंह को दैविक चमत्कार दिखाया जिसकी वजह से उन्होंने श्री करणी माता के प्रत्यक्ष चमत्कार को अनुभव किया। इस कारण उन्होंने अलवर के बालागढ की पहाड़ी पर अपनी राणावत महारानी की प्रेरणा से श्री करणी माता मंदिर बनवाया।
9. मेवाड़ के देवगढ़ ठिकाना,खेतासर ठाकुर बख्तार सिंह , खाटू के भोमजी चम्पावत,सिरडा के संग्राम सिंह भाटी व गडियाला के दीपसिंह भाटी की भी श्री करणी माता ने चमत्कारपूर्वक सहायता की ।
उक्त सभी श्री करणी माता के चमत्कारों का उल्लेख श्री करणी माता के चमत्कार पुस्तक में मैंने किया है।
ये सभी ऐतिहासिक घटनाएं जिनका उल्लेख बीकानेर के इतिहास,गजेटियर,तवारीख,ख्यातों व शासण की बहियों आदि ऐतिहासिक व साहित्यिक ग्रंथों में हुआ ।
हम भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान 1965 ई व 71ई में बीकानेर बार्डर व रियासत की श्री करणी माता व जैसलमेर की श्रीतनोट माता द्वारा की गई रक्षा का सुनते आये हैं उस समय के लोग आज भी मौजूद हैं ।
तत्कालीन भय के वातावरण का उल्लेख करते हैं व पाकिस्तान के तरफ फेंके गये गोले नहीं फूट का कारण श्री करणी माता व तनोट माता की दैविक शक्ति को ही मानते हैं उस समय के कुछ भक्त लोग कहते हैं कि मां करणी जी ने स्वयं अपने हाथों से दुश्मन सेना के गोले रोककर बीकानेर की रक्षा की थी तब भी ये बात फैली थी कि सुहागन स्त्रियाँ अपने हाथों के मेहंदी लगावे ये श्रीकरनी माता का आदेश हुआ है । जब मुल्क का जनमानस राष्ट्रीय आपदा से भयग्रस्त होता है तो अपने अपने तरीके से अपने आराध्य को प्रसन्न करते हैं जिसमें मातेश्वरी के भक्त कविजन अपनी काव्य रचनाओं द्वारा श्री करणी माता को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। अभी कोराना महामारी से बचाने के लिए भक्तों ने सैकड़ों रचनाओं द्वारा मातेश्वरी से सहायता की अरदास की। ये लोगों का मातेश्वरी के प्रति दृढ़ विश्वास हैं जो हमें देखने को मिलता है सभी लोगों की अपनी अपनी आस्था हैं,टोटके हैं व उनके विश्वास हैं जो आजकल सोशल मीडिया में खूब देखने को मिलते हैं ।
1994 ई में सूरत में जब प्लेग की महामारी फैली तब भी संक्रमित लोगों ने देशनोक आकर काबों का झूठा दूध पिया और वे स्वस्थ हुए। हजारों की संख्या में देशनोक मंदिर काबा (चूहे) होने के बावजूद प्लेग नहीं फैलना विज्ञान को चकित कर देने के समान । कुछ लोग की जब वैज्ञानिक सोच असफल हो जाता है तब वे लोगों भी ईश्वरीय शक्ति की ओर देखते हैं ।
इस तरह जब 11 जनवरी 2002 के दिन बीकानेर के उदासर में भारतीय सेना के आयुध में भीषण आग लगी। तब आयुध का करीब 1000 टन एम्यूनेशन (बारूद) ट्रकों में भरा पडा था। इस बारूद खाने में आग लग गई तो बीकानेर शहर के नष्ट होने की सम्भावना बन गई थी लेकिन मातेश्वरी श्री करणी माता की कृपा से बीकानेर की एक बार पुनः रक्षा हो गई ।
ये सब रियासतकालीन व आजादी के बाद के संकट ऐतिहासिक दृष्टि से बीकानेर वांशिदों के दिलों दिमाग़ में घर कर गये है कि हमारे साथ ईश्वरीय शक्ति श्री करणी माता का आशीर्वाद हैं । मेरे श्री करणी माता पर मेरे किये गये पिछले 17 वर्षों के शोध का अनुभव कहता है कि मातेश्वरी श्री करणी माता ही समय समय पर राष्ट्र व जगत को अपनी दैविक शक्ति का अहसास कराती है।
श्री करणी माता के ज्यादातर प्रवाड़े भक्त व उनके परिवार को प्रभावित करने वाले होते हैं जिनकी प्रतिदिन की संख्या अनगिनत होती हैं। कुछ प्रवाड़े गांव, समुदाय तक ही सीमित रह जाते हैं,साल में एक दो बार एक ऐसा प्रवाड़ा होता हैं जिसे देशनोक धाम,सुवाप धाम आदि जैसे बड़े धाम में होता है जिसे लाखों भक्त देखते हैं जैसे मातेश्वरी के जन्मोत्सव पर शोभा यात्रा के दौरान सवळी (चील) में दर्शन होते हैं जिसका लाभ हजारों व लाखों लोगों को होता है ।
इस बार कोराना महामारी से मंदिर के पोल द्वार मंगल किये गये तो उसी दिन श्री करणी माता मंदिर देशनोक के गुम्बद पर ध्वजदण्ड पर सवळी (चील) में आकर विराजमान होकर यह संदेश दिया हैं। मैं यहीं मौजूद हूँ जिससे भक्तों को धैर्य व विश्वास मिला। उसी रात कुछ भक्तों को सपने में भी दर्शन देकर भय मुक्त किया और अपना विराट स्वरूप दिखाया। तब जाकर मां के लाडले भक्त सन्तुष्ट हुए। क्योंकि कुछ भक्त नियमित रूप से देशनोक मंगल आरती में आते हैं। एक भक्त तो बीकानेर से प्रतिदिन मंगल आरती में आते हैं। बहुत से भक्तों का नियम है कि वे प्रति मास की शुक्ल पक्ष के सप्तमी,अष्टमी /चवदस को नियमित रूप से अपनी हाजरी देते हैं। चैत्र नवरात्रि की चवदस तक देशनोक को धाम दर्शन के लिए खुले हम सभी भक्तों की प्रार्थना हैं । मुझे पूरा विश्वास है कि मातेश्वरी ने ऐसे भक्तों जरूर सपन दर्शन दिये होंगे और उन्हें उनके ह्रदय में मां करणी जी के बिराजने का संदेश दिया होगा।
ये कोराना महामारी भी उन्हीं की किसी योजना का अंग है । मातेश्वरी श्री करणी माता ही वास्तव में सृष्टि के सृजन कर्ता,पालन कर्ता व संहारक हैं वे तो चराचर जग में विचरनी,विश्वरूप,विराटरूप,सर्व व्यापक,सर्व अन्तर्यामी,सर्व स्वरूपी,सर्व शक्तिमान,सर्वज्ञ,सर्व दृष्टा,सर्व गुण सम्पन्न,गुणातीत,अति कृपालू-दयानिधि,न्यायाधिकर्ता आदि-अनादि,असीम-अपार अथाह अनन्त,सत्य भी असत्य,दृश्य भी अदृश्य,नित्य भी अनित्य भी,जड भी चेतन भी,स्थावर भी जंगम भी,चिन्त्य अचिन्त्य भी,भाव भक्ति,ज्ञान- अज्ञान- विज्ञान,अज- अमर,प्रकृति-पुरूष,सच्चिदानंद परम ब्रह्म-परमेश्वरी,आक्ता भी काया भी,कूटस्थ रूपा,चिद् रूपा,अनन्त कोटि ब्रह्माण्ड की नायिका,ब्रह्मा भी, माया भी,स्वयं मोक्ष व मोक्ष प्रदायिनी हैं ।
ऐसी परमसत्ता जगदम्बा श्री करणी माता को सम्पूर्ण विश्व की मानव जाति पर कोराना महामारी रूपी आये संकट से मुक्ति दिलाने के लिए उनके अनेकों भक्त चिरजाओं,छंदों,दोहों व गीतों द्वारा प्रसन्न कर रहे हैं तो मुझ दास ने भी अपनी अरदास भगवती श्री करणी माता के पूर्व चमत्कार का उल्लेख करते हुए की हैं कि हे ! मां चैत्र सुदी चवदस(7 अप्रैल 2020 ई ) तक के दिन तक कोरोना महामारी का अन्त कर देना । वि• स• 1595 चैत सुदी चवदस के जिस दिन ही देशनोक धाम में मातेश्वरी की मूर्ति की स्थापना हुई थी। उस समय भी उतरा फाल्गुनी नक्षत्र था। इस बार भी 7 अप्रैल को चैत्र सुदी चवदस को दिन उतरा फाल्गुनी नक्षत्र है । इस जगत से कोराना महामारी का खात्मा भगवती श्री करनी जी महाराज कर देंगे और जगत को प्रभावित करने वाला बड़ा प्रवाड़ा जो 10-20 साल में एक बार होता है। वह बताने अब समय आ गया लगता है ।
भक्त धौकल सिंह जी चरला कहते हैं कि
डागदरां री डागदर,आ बैदां री बैद।
आं कै हाथां औषदी,आ ही मैटे खेद।।
श्री करणी माता के भक्तों से अनुरोध है कि सभी अपने अपने तरीके से मातेश्वरी का गुणगान करते हुए । भारत सरकार व राजस्थान सरकार द्वारा समय समय पर जारी आदेशों का पालन करते हुए तन मन व धन से इस कोराना महामारी से निपटने में सरकार का सहयोग करे और घर पर बैठकर ही देवियांण,देवी भागवत,भगवद्गीता,रामचरितमानस,श्री करनी चरित्र,इतिहास व चमत्कार,कथामृत आदि ग्रंथों का अध्ययन करे और इस नवरात्रि में जगत् के कल्याण के लिए भगवती श्री करनी जी महाराज की अपने अपने तरीके से आराधना करे।
चैत्र नवरात्रा व नये हिन्दू वर्ष वि• स• 2077 की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं ।
सादर जय माता जी री सा
✍️ डॉ नरेन्द्र सिंह चारण (नरसा आढ़ा झांकर)
प्रधानाचार्य राउमावि बिकरनी
#CoronaVsIndia , #RetTemple , #karniMata , #धर्म


0 टिप्पणियाँ
अपने विचार हमारे साथ साझा करें Kishankumarjoshi.blogspot.com वेबसाइट (सेवा) सूचना उद्देश्यों के लिए है और राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक मोर्चे पर बेहतर विश्लेषण प्रदान करने के उद्देश्य से है।