चींटी का यह जीवन दृश्य देखो ना ..!



चींटी का यह जीवन दृश्य देखो ना ..!


यह सरल है, यह विरल है,

यह काली रेखा यह तम के धागे सी जो हिल-डुल है।


चलती लघु पद पर पल-पल मिल-जुल कर,

यह है पिपीलिका पाँति सी देखो ना।


यह धूप खिलाती है, सरपट सी चलती है,

पानी मे भीगी खुद की निगरानी करती है।


यह लड़ती भी है, समूह भी बनाती है, 
तनिक भी न डरती है पलायनवाद के क्रियाकलाप से।


देखो ना यह हर घर-आँगन, मन्दिर- मस्जिद में,

गली और जनपथ बुहारती चलती रहती है।

 

चींटी श्रमिक सी है जीवन भी सँगर्ष हैं,

सच मे यह सामाजिक प्राणी सी है।


यह सच में श्रमजीवी सी है देखो ना

देखा क्या उसके जीवन को आपने ?


चींटी का यह जीवन दृश्य देखो ना..!


भूरे बालों की सी कतरन है,

विचरण करती है श्रम में तन्मय।


सूक्ष्म है तिल सी हवा के साथ हो चलती है,

अपने प्राणों को रिलमिल झिलमिल करती सी।


चींटी का यह जीवन दृश्य देखो ना ..! 


भागती सी चलती है यह जीवन भर,

मिलों तक बिना किसी थकान के अथक कार्य करती रहती हैं।


- किशन कुमार जोशी
14 / 10 / 2020


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