गाँधी बनाम गोडसे कब तक चलेगा..? कुतर्को के सहारे धार्मिक उन्माद फैलने वाले लोग कौन हैं..?

गाँधी बनाम गोडसे कब तक चलेगा..? कुतर्को के सहारे धार्मिक उन्माद फैलने वाले लोग कौन हैं..? जबाव देने की कोशिश में इसे लिखा है पूरा पढ़ लीजिए लम्बा लिखा हो सकता है लेकिन समस्या को समझने के लिए समय लेकर पढ़ लीजिए...


काली चरण जी को पिछले दो साल से सुना शिव तांडव स्त्रोत, महिषासुरमर्दिनी स्त्रोत का उन्होंने बहुत ही अच्छा गायन किया देवीउपासक भी हैं उस नाते मैने उन्हें पसंद किया 

मैने उनके व्यक्तित्व को समझा है व्यक्तिगत न सही लेकिन भावनात्मक रूप में, मुझे मन के अच्छे औऱ गम्भीर लगे, लेकिन जब से पोलटिकल स्टेंड लिया तो पहले तो कभी कभी वीडियो में धर्म के नाम पर दूसरे धर्म को टारगेट किया करते मुझे अजीब लगता क्योकिं वो पहले ऐसा नहीं करते थे मैने जो अपनी तरफ से खाका उनको देखना का बनाया वो उसे बुरी तरह तोड़ चुके थे...

मुझे बहुत दुःख है कि जिनको मैने सन्त माना जिनको काली उपासक स्वीकार किया वो ऐसे अमर्यादित बोल बोल गए और उन्हें कोई पछ्तावा नहीं कि गलत तथ्यों व जोश में शब्द फुट पड़े औऱ न कानून के प्रति कोई सवेंदनशीलता, कम से कम एक संत में संयम औऱ माधुर्य होना चाहिए सन्त को संवाद करना चाइए बहस या बवाल नहीं .., 

वो पहले ऐसा नहीं करते थे हो सकता है पहले से यह घृणित विचार उनके मन मे हो और वो बाहर न आएं लेकिन बाहर एक नियत समय के बाद आएं और ऐसा करते करते साहब को विष्णु का अवतार भी घोषित किया यहीं से मेरी उन्हें जानने की रुचि औऱ बढ़ी की एक आध्यात्मिकता पर उपदेश देना वाले सन्त अचानक से राजनीति और धर्म के मिक्सर को क्यों ऑन किये हुए है यह सवाल मेरे मन कई बार आया... क्या यह सस्ती लोकप्रियता कि चाहत है...? 

अब वो मीडिया में बयाँ दे चुके कि मैं महाराज नहीं हूँ शौक के लिए यह सब धारण करता हूँ। आप उनके आध्यात्मिक उपदेशों को सुनिए आपको अच्छा लगेगा लेकिन उन्ही के मुँह से नफ़रत की बाते अजीब लगेगी आप तय नहीं कर पाएंगे कि उनको गलत कहें या सही..., दरअशल जब हम किसी के फैन या शिष्य बन जाते हैं तो उनकी गलतियों को सही साबित करते हैं या इग्नोर करते हैं उनके झूठ, गलत के विरुद्ध बोलने की कोशिश नहीं करते इसलिए मैं कहता हूँ कम से कम किसी भी पार्टी या नेता के फैन(भक्त) मत बनो क्योंकि उसके बाद आप गलत को गलत नहीं कह पायेंगे...।


क्या यह सस्ती लोकप्रियता कि चाहत है...? मेरे ख्याल से नहीं, वो आध्यात्मिक से एकदम से पोलटिकल हो गए औऱ आज राष्ट्रीय बहस के रूप में सामने आ रहें हैं गाँधी बनाम गोड़से के रूप में, यह मुद्दा जो कि आजादी के इतने सालों के बाद भी है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकारों की है औऱ इतिहासकारो, बुद्धिजीवियों की है वो आजादी के इतने वर्षों बाद इस बात का निस्तारण क्यों नहीं कर पाए कि गोडसे ग़लत थे गलत थे औऱ गलत रहेंगे औऱ सदैव घृणित रहंगे...

क्यों हर बार गोडसे जिंदाबाद, गाँधी जयंती को ट्रेंड कर जाता हैं.....?

क्यों कोई इनके घटिया तर्को ओर विचारों को जबाव नहीं देता..?

क्या हम इन्हें इग्नोर करके तथा सवांद न करके भारतीयता का अपमान नहीं कर रहें हैं...?

कालीचरण जी के रूप में कट्टर हिन्दू के ऐसे भाषण व छवि केवल उनकी नहीं हैं देश को अब पता चला है लेकिन यह खेल पिछले कई सालों से चल रहा है कुछ लोग हर साल कालीचरण महाराज बन कर सामने आते रहें हैं लेकिन क्यों..?

क्योकिं कुछ लोग हैं जिनको लगता कि झूठ के बलबूते वो सदा बने रहेंगे वो ऐसी बहस और कुतर्को को गढ़ कर युवाओं को आकर्षित करते हैं अपने आसपास देखिए आज हर तीसरे व्यक्ति ऐसे विचारों से पीड़ित नजर आएगा...

समझिये पॉलटिक्स प्रोपेगैंडा में धर्म के ठेकेदारों के घटिया तर्कों औऱ आइटिसेल के झूठ से बनी विचारधारा से युवाओं को इस कदर बर्बाद किया जा रहा कि वो अब ख़ुद से स्वतंत्र चिंतन भी नहीं कर सकते उन्हें वैचारिक रूप से खोखला किया जा रहा है उन्हें अबोधक बनाया जा रहा है कालीचरण महाराज भी उनमें से ही एक हैं।

कालीचरण महाराज सबसे पहले पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ के सम्पर्क में आये यहीं से इनके पास धर्मिक उन्माद की सामग्री पहुँची आप जो जोश देख रहें हैं ब्यान में उसके पीछे कितनी धारणा और कितने विचारों का उथलपुथल हैं उनके यु ट्यूब चैनल पर पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ के साथ व सुदर्शन न्यूज के सुरेश के साथ वीडियोज हैं औऱ जब से इन लोगों के सम्पर्क में आये हैं वो ऐसे ही घटिया बयानबाज़ी करने लगे हैं..।

यह समस्या कालीचरण महाराज की नहीं है आने वाले समय की है जो युवाओं का है, यह भारत का भविष्य हैं अच्छे से देख लीजिए कि किस तरह आइटिसेल के झूठ व धार्मिक कुतर्क व इतिहास की मिथक जानकारी फैलाने वाले ऐसी धारणाएँ को गढ़ रहें हैं ऐसी धारणाएँ किसी भी भावुक व फ्रेश माइंड को कितना ख़राब कर देती हैं।

आज हमारे देश में बड़े रूप में हर जगह कालीचरण महाराज तैयार हो चुकें हैं... हम रोक भी नहीं पायेंगे, क्योकिं हमे बोलना नहीं आता... हमे तर्क देना नही आता उनके कुतर्को का...

मोदी जी को विष्णु अवतार मानने वाले औऱ उनके भक्त सन्त कालीचरण जी महाराज को Ashok Kumar Pandey जी कि पुस्तक "उसने गाँधी को क्यों मारा" पढ़ लेनी चाहिए...

सत्य का साथ देने वाले के साथ हमेशा भगवान होते है इसलिए हमेशा कोशिश कीजिये सत्य बोले और लिखे तथा सत्य जानने की कोशिश करें...

- किशन कुमार जोशी

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