【 फ़िल्म समीक्षा 】 Saaho Movie Review By kishan joshi

नमस्कार आज पहली बार फ़िल्म समीक्षा कर रहा हूँ।

               Saaho Review By kishan joshi

30 अगस्त को रिलीज हुई एक बड़ी फिल्म जिसकी लागत 300 करोड़ से ज्यादा है और शुटिंग टाइम 2 साल का है, यह एक एक्शन थ्रिलर फिल्म है, जो सुजीत द्वारा लिखित और निर्देशित है, जिसे यूवी क्रिएशंस और टी-सीरीज़ द्वारा निर्मित किया गया है। यकीनन यह बॉलीवुड की बड़ी फिल्म है जिसका नाम है "शाहो"।

इस फिल्म में प्रभास और श्रद्धा कपूर मुख्य किरदार में हैं,और सपोर्टिंग कास्ट में जैकी श्रॉफ,मंदरा बेदी,चकी पाडें के अलावा भी काफ़ी एक्टर हैं जिनकी एक्टिंग सुपर हैं।
इस फ़िल्म में संगीत तनिष्क बागची,गुरु रंधावा,के है। बैकग्राउंड स्कोर साउंड बेहतर है जो घिबरन का हैं।

ट्रेड पंडित रमेश बाला के मुताबिक, ‘साहो’ ने बॉक्स ऑफिस पर पहले दिन धांसू कमाई की है। फिल्म पहले दिन 100 करोड़ के क्लब में शामिल होने की राह पर भी है। रमेश ने एक ट्वीट में लिखा- ‘साहो’ ने भारत में हिंदी भाषा में करीब 25 करोड़ रुपए का कारोबार किया है। वहीं हिंदी भाषा में ‘भारत’ और ‘मिशन मंगल’ के बाद साहो साल 2019 की तीसरी बेस्ट ओपनर साबित हुई है। 


अब बात करते हैं कि फ़िल्म को देखने पर कैसा लगता है तो मैं यूँ कहूँ की 'उम्मीद जहाँ ज्यादा होती है दिल टूटने का खतरा भी वहीं होता है' यकीन न आये तो कलंक और रेस 3 को टक्कर देती यह इस साल की एक बड़ी फिल्म जो 350 करोड़ में बनी है इस फ़िल्म को देख लो क्योंकि फ़िल्म देखने के बाद आप को लगेगा की स्कूल में पढ़ाया जाने वाला सब्जेक्ट साइंस एक धोखा है,क्योंकि हवा में उड़ते प्रभास औऱ बाकी अनसाइंटिफिक एक्शन यह चीख चीख कर बताते हैं कि साइंस की हत्या इसे ही कहते हैं और सबसे बड़ी बात इस फ़िल्म का लॉजिक से दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं है, फ़िल्म में एक सीन है जो ऑस्ट्रिया का है लेकिन वहाँ के न्यूज़ चैनल ब्रेकिंग न्यूज़ हिन्दी मे ही देते हैं, है ना लॉजिक वाली बात।

शाहो के ट्रेलर को देखकर पाली उम्मीद फ़िल्म देखने के बाद काफी फीकी पड़ जाती है क्योंकि 2 साल में बनी यह फिल्म जिसमे खूब पैसे बर्बाद किये गए हैं वो ऐसी निकलेगी किसी ने सोचा भी नहीं होगा।
यह फ़िल्म बाहुबली के आगे बिल्कुल ज़ीरो है या यूं कहूँ की यह बक़वास फ़िल्म के कम्पटीशन में गोल्ड मैडल जितने के काबिल है।

बाहुबली जैसी फिल्में करने वाले प्रभास काबिल और कमाल के एक्टर हैं लेकिन इस फ़िल्म में वो रंग नहीं भर सके जो बाहुबली में था,आवाज में भी कोई ज्यादा दम नहीं है आगे से प्रभास की फिल्में देखने से पहले थोड़ा सोचना होगा क्योंकि चहरे के इंप्रेसन कॉमेडी और रोमेंस के अलावा भी सब जगह सेम रहते हैं साथ ही बिना मतलब के फ़िल्म में फ़ीट न बैठने वाले डायलॉग वो बोलते हैं जो उन पर बिल्कुल भी फिट नहीं बैठते।

इस फ़िल्म की स्टोरी लाइन इतनी कमजोर और घुमाई गयी है कि आपको स्टोरी ढूंढ़ने में सिर दर्द जरूर होने लगेगा क्योंकि शुरुआत और एंडिंग देखने के बाद चक्कर मे पड़ना तय है,फ़िल्म को स्पेशल बनाने के चक्कर मे स्टोरी काफी कन्फ्यूजिंग की गई है जिसमे ट्विस्ट भर भर के दिया गया है जो फ़िल्म को और ज्यादा खराब करने के लिए काफी है क्योंकि जितना दिमाग आप पढ़ने में नहीं लगाते उतना इन ट्वीस्टस में लगाना पड़ेगा।

इस फ़िल्म में दो स्टोरी एक साथ दिखाई गयी है। एक अंडरवर्ल्ड जैसे गैंगस्टर की है जो आपसी दुश्मनी निकालते हैं और एक मुंबई के चोर की जिसके पीछे पुलिस होती है जो उसे पकड़ नहीं पाती है बिल्कुल धूम 2,3 फ़िल्म के जैसे, अब आप सोच रहे होंगे कि कहानी तो ढंग की लग रही है गैंगस्टर है उनकी लड़ाई भी है एक चोर भी है जिसके पीछे पुलिस भी है तो आप रेस 3 भी देख लीजिए क्योंकि उसकी छोटी बहन शाहो है।

इस फ़िल्म में एक्शन दमदार हैं जो हॉलीवुड की कई फिल्मों से उठा उठा कर लिए गए हैं जो काफ़ी अच्छे तरीके से आपको लुभाते हैं लेकिन वीएफएक्स का काम उतना अच्छा नहीं जितना 2 साल में बनी एक फिल्म का होता है।

फ़िल्म को इंटरस्टिंग बनाने के लिए बेतुके से पकाऊ डायलॉग भरे गए हैं और तीन चार गाने डाले गए हैं जो काफ़ी बेकार और किरकिरी करने वाले हैं एक आधे को छोड़ कर, इस फ़िल्म में लव स्टोरी डालने वाले कमाल हैं उनको कोई मतलब नहीं कि प्यार क्या होता है। फ़िल्म में बहुत से करेक्टर हैं जिनका फ़िल्म में क्या नाम था याद तक नहीं रहेगा, फ़िल्म को जो बेहतर बनाते हैं वो हैं एक्शन सीन जो हॉलीवुड की फील देते हैं यह अच्छी बात है।

श्रद्धा कपूर का रोल फ़िल्म में कुछ ज्यादा तो नहीं है फिर भी कई जगह वो आपको बोरिंग कर सकती हैं जैसे रोमेंस व वाहियात से डायलॉग बोलते वक्त।

सपोर्टिंग कास्ट में जैकी श्रॉफ,चक्की पांडे,मंदरा बेदी जैसे काबिल एक्टर हैं जिनको स्क्रीनिंग टाइम बहुत कम दिया है, जबकि प्रभास पर ज्यादा फोकस रखा गया है जिससे बाकी के काबिल एक्टर जो फ़िल्म में हैं वो अलग - थलग लगते हैं और उनका इस्तेमाल जरूरत से कम हो जाता है।

इसलिए मैं इस फ़िल्म को दूँगा 5 में से केवल 2 स्टार।
एक स्टार - कमाल के एक्शन के लिए जो बॉलीवुड में अब तक देखने को नहीं मिले।

दूसरा स्टार - चकी पांडे व नेली नितिन, मुरली शर्मा और अरुण विजय की एक्टिंग के लिए।

जबकि पाँच में से तीन स्टार काट रहा हूँ
एक स्टार - कम कर लीजिए प्रभास की घटिया एक्टिंग व इंप्रेशन और न जमने वाले डायलॉग के लिए।

एक स्टार कम कर लीजिए संगीत के नाम पर बेहूदगी के लिए जो फ़िल्म में बिल्कुल भी नहीं जमे।

एक स्टार कम कर लीजिए घुमाने वाली कन्फ्यूजिंग स्टोरी लाइन व उसने भरे ट्विस्ट और घटिया डायलॉग के लिए।

- kishan kumar joshi (मेरी पहली फ़िल्म समीक्षा)

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

अपने विचार हमारे साथ साझा करें Kishankumarjoshi.blogspot.com वेबसाइट (सेवा) सूचना उद्देश्यों के लिए है और राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक मोर्चे पर बेहतर विश्लेषण प्रदान करने के उद्देश्य से है।